July 3, 2013

मेरे प्रिय शिक्षक | हिंदी निबंध

मेरा प्रिय शिक्षक  -निबंध
मेरा प्रिय शिक्षक  -निबंध
हमारे विद्यालय में महिला एवं पुरुष बहुत से शिक्षक हैं| सभी अपने-अपने विषय के माहिर है| सभी अपने-अपने कालांश में वर्ग में ठीक समय पर उपस्थित होते हैं और बच्चों को अच्छी तरह अपने विषय का समुचित ज्ञान देते हैं| हमारा विद्यालय बम्बई शहर का एक आदर्श विद्यालय है| इस विद्यालय की परीक्षा -फल हर वर्ष सौ प्रतिशत आता है| यह चमत्कार सिर्फ शिक्षकों के प्रयत्न का ही फल है| हमारे विद्यालय में करीब पचास शिक्षक-शिक्षिकाएँ हैं| उनमें से मुझे ज. रा. नायक साहब अधिक अच्छे लगते हैं|

श्री.ज.रा.नायक साहब इंग्लिश के शिक्षक है| वे इंग्लिश के एम. ए. हैं| वे आठवीं से दसवीं तक विद्यार्थियों को सिखाते हैं| वे धोती और जाकिट पहनते हैं| सिर पर गांधी टोपी और पाँव में कोल्हापुरी पहनते हैं| उनके कपड़ो की क्रीज हमेशा कड़क रहती है| वे स्वछता एवं सादगी के बड़े ही भक्त हैं| उनके आचार-विचार एवं स्वाभाव से उन्हें कोई इंग्लिश शिक्षक नहीं कह सकता| अंग्रेजी शिक्षक होते हुए हिन्दुस्तानी लिबास ही पसंद करते हैं| वे बड़े विनम्र एवं मृदुभाषी हैं| उनके व्यक्तित्व को देखकर कोई भी उन्हें भारत माता का सच्चा सपूत एवं भारतीय सभ्यता-संस्कृति का पुजारी कह सकते हैं| यदि उन्हें कोई नमस्कार या गुड मोर्निंग या गुड इवनिंग कहता है, तब वे दोनों हाथ जोड़कर मुस्कुराते हुए 'नमस्कार' शब्द का उच्चारण करते हुए उनका अभिवादन करते हैं| अपने इन्हीं गुणों के कारण वे पूरे विद्यालय में आदर्श एवं प्रिय शिक्षक माने जाते हैं| वे अपने समय के बड़े पाबन्द हैं| विद्यालय शुरू हुआ, घंटी बजी कि वे अपने वर्ग में उपस्थित हुए| वे बड़े ही अनुशासनप्रिय हैं| उनके वर्ग में सभी छात्र एवं छात्राएँ शांत भाव से दत्त-चित्त होकर सबक सीकते हैं| अगर कोई छात्र उद्दणडता करता है तब वे उसे सिर्फ वर्ग के बहार खड़ा कर देते हैं| इसके आलावा अन्य किसी प्रकार का दंड उसे नहीं देते| जब उनका कालांश समाप्त होता है तब उसे अपने पास बुला कर प्यार से उद्दणडता न करने की सीख देते हैं|

उनके सिखाने का तरीका भी बड़ा ही रोचक होता है| सर्व प्रथम वे वर्ग के समक्ष मेज के निकट खड़े होकर पाठ का वाचन करते हैं| बाद में उस पाठ में आये हुए कठिन शब्दों का अर्थ श्यामपट पर लिख देते हैं| बड़े एवं हेतुलाक्षी प्रश्नों को श्यामपट पर लिख कर उनका सही और सरल उत्तर बच्चों को समझाते हैं| इंग्लिश व्याकरण के वे अच्छे जानकर हैं | विद्यार्थी और शिक्षक भी व्याकरण के कितने प्रश्न हल करने उनके पास आते हैं| वे मुस्कराते हुए उनके प्रश्नों का हल बता देते हैं| जब कभी वे अंग्रेजी कविता पढ़ाते हैं| तो देखते ही बनता हैं| उनके सुस्वर वाचन से अनायास ही विद्याथियों का ध्यान उनकी और खिंच जाता है| कविता का भावार्थ बड़े ही रोचक ढंग से बच्चों को बनाते हैं| उनके वर्ग में पूरी शांति छाई रहती है| अध्यापन-कला में माहिर होने के कारण महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें स्वर्ण-पदक प्रदान किया है| विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री. देसाई तथा अन्य शिक्षक-वर्ग उन्हें विशेष सम्मान देते हैं| उनकी अच्छाइयों का अन्त ही नहीं है, ऐसा जान पड़ता है की वे जन्मजात शिक्षक हैं| भगवान ने उन्हें शिक्षक-कार्य के लिए ही धरती पर पैदा किया है|

अब आप ही सोचिए और बताईये कि यदि ज. रा. नायक जैसे शिक्षक मुझे प्रिय एवं आदर्श न होगा तो कौन होगा ? भगवान से प्रार्थना है कि वह उन्हें लम्बी उम्र दे जिससे वे विद्यार्थियों को ऊँची एवं आदर्ष शिक्षा देकर भावी जीवन को उज्जवल बनाते रहें| कहा जाता है की शिक्षक बनाये नहीं जाते बल्कि शिक्षक जन्म से पैदा होते हैं| यह कहावत हमारे प्रिय शिक्षक ज. रा. नायक साहब के लिए पूरी तरह से चरितार्थ होती है| वैसे तो वे सबसे प्रिय है मगर मेरे लिए अन्यों से बढ़कर प्रिय हैं, आदर्श हैं|