November 30, 2013

रेलवे स्टेशन पर एक घंण्टा | हिंदी निबंध

Indian Railways
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पिछले वर्ष गर्मी की छुट्टियों में अपने मित्रों के साथ बम्बई से आबू पर्वत जा रहा था| गाड़ी छूटने के लगभग एक घंटा पहले हम रेलवे स्टेशन पर जा पहुँचे|

स्टेशन के बाहर टैक्सीयां का ताँता लगा हुआ था| मोटर-गाड़ियाँ रास्ता रोक कर खड़ी थीं| लाल पगड़ी वाले कुली यात्रियों के पास पहुँचकर सामान उतारने के पहले मजदूरी तय कर रहें थे| स्टेशन में टिकट घर के सामने तिल धरने की जगह न थी|

प्लेटफार्म पर मानो रंगबिरंगी पोशाक की प्रदर्शनी लगी हुई थी| अगल-अगल प्रकार की पोशाक वाले लोगों का मेला-सा लगा हुआ था| कोई दाहिना हाथ अपनी पैण्ट की जेब में डाले हुए बाएँ हाथ से सिगरेट का धुआँ उड़ा रहा था, तो कोई पान वाले को आवाज दे रहा था| कोई नल पर कुल्ले कर रहा था, कोई जूठे बर्तन धो रहा था| सभी अपने-अपने रंग में मस्त थे| 'बाजु' दूर हटो' 'संभाल' की आवाजें लगाते हुए कुली दौड़-धुप कर रहे थे| चाय वाले, खोमचे वाले और अन्य फुटकर विक्रेताओं की 'पुड़ी-साग', 'पान-सिगरेट', 'पूरी मिठाई' जैसी आवाज़ों से प्लेटफार्म गूँज रहा था| टिकट चेकर भी इधर-उधर दौड़-धुप कर रहे थे|

गाड़ी आते ही प्लेटफार्म पर बड़ी हलचल मच गई| गाड़ी में जगह पाने के लिए कुली और कुछ यात्री चलती हुई गाड़ी में चढ़ने लगे| कोई दरवाजा खोलने लगा, तो कोई खिड़की से घुसने लगा| सामान गाड़ी में ढकेला जाने लगा| डिब्बे से झगड़ने की आवाजें कानों के पर्दे फाड़ने लगीं| छोटे बच्चे चील्ला रहे थे| कोई किसी की नहीं सुन रहा था| सबको अपनी-अपनी पड़ी थी| हाँ, आरक्षित डिब्बों में शोरगुल आपेक्षाकृत कम था|

सब यात्री अपने-अपने स्थान पर जम गए और वातावरण कुछ शांत हुआ, तो लोग चाय, थम्सअप, आइसक्रीम आदि का मजा लेने लगे| बच्चे खिलौने वाले को पुकार रहे थे| एक ओर यात्रा पर जा रहें पति-पत्नी का दृश्य बड़ा ही मनमोहक था, तो दूसरी ओर बेटी से बिछुड़ती हुई माँ का दृश्य बड़ा ही ह्रदयद्रावक था| ऐसी सजीव दुनिया बसी थी प्लेटफार्म पर|

गाड़ी छूटने की सीटी बजते ही 'शुभयात्रा', 'गुड बाई', पत्र लिखना' आदि शब्दों से प्लेटफार्म का सारा वातावरण फिर एक बार गूँजा बिदा देने लगे| न जाने उनके प्यार-भरे हृदय में कैसी हलचल मच रही होगी ? गाड़ी रवाना हो गई, तब प्लेटफार्म पर आनंद , उत्साह और शोरगुल की जगह सूनापन और शांति का साम्राज्य छा गया|

सचमुच, रेलवे स्टेशन पर एक ही घंण्टे में मानव जीवन के विविध रूपों के दर्शन हो जाते हैं| हमारे मन में फुर्ती दौड़ जाती है| मुख्य रूप में रेलवे स्टेशन मिलने और वियोग का अनोखा स्थल है|