October 26, 2013

शैक्षणिक सैर | हिंदी निबंध

यों तो मनुष्य जीवन भर कुछ सीखता रहता है, किन्तु एक विशेष अवस्था को विद्यार्थी जीवन कहतें हैं जो सचमुच जीवन का स्वर्णकाल है मेरी स्मृतियों मुझे याद कराती है जब हम पूरे पाठशाला के साथ शैक्षणिक सैर करने दिल्ली के टाइम्स अख़बार की प्रेस में जाने के लिए तैयार हुए| हम सबको प्रात: सात बजे ही विद्यालय पहुँचना था हम सब वहाँ पहुँचकर अपनी गुरूजी की देखरेख में बस में चढ़े|

रास्ते में ह्रदय में बहुत उमंगें उठ रही थीं| आज के वैज्ञानिक युग में भी समाचार पत्र हमारी दैनिक आवश्यकताओं में एक है, समाचार पत्र द्वारा हमें घर बैठे ही दुनिया की महत्त्वपूर्ण घटनाओं के कारणों वैज्ञानिक एवम् परिणामों की जानकारी हो जाती है| वैज्ञानिक अविष्कारों, खोजों, भयंकर दुर्घटनाओं, राष्ट्रों के पारम्परिक सम्बन्धों एवम् तनावों, दंगों, हड़तालों और अपराधों के बारे में समाचार पत्रों में पढ़कर हम संसार की वर्तमान हलचल का पूरा विवरण पातें हैं|

ऐसी कल्पनाओं में खोये-खोये मुझे ज्ञात भी नहीं हुआ और बहादुर शाह जफर रोड आ गई और में अपनी सहेलियों के साथ प्रेस के भीतर गई| यहाँ के कर्मचारियों ने वस्तृत रूप से समझाकर वहाँ की सारी मशीने एवम् उसकी प्रक्रिया बताई साथ ही यह भी बताया कि अखबार को कितनी स्टेजज से गुजरना पड़ता हैं| मैं सम्पादक से भी मिली| मैं वहाँ के पत्रकार, लेखक से भी मिली| वहाँ कैसे खबर दूसरों देशों से प्राप्त होती है वह तकनीकी कक्ष भी देखा फेक्स इन्टरनेट आदि सेवाओं से लेस प्रेस की क्षमता का भी ज्ञात हुआ| रात भर काम करनेवालों का भी पता चला| रात को कितने समय तक अखबार छपता है कब यहाँ (प्रेस) से निकलता है कब, कैसे घरों तक पहुँचता हैं सब जानकारी मिली| फोटोग्राफरों एवं कार्टून बनानेवालों से भी परिचय हुआ|

इतनी ज्ञानवर्धक शैक्षणिक सैर के पश्चात ऐसा अनुभव हुआ कि वहीँ पर रह जाऊँ और देश की सेवा में लग जाऊँ लेकिन मुझे तो अभी और पढ़ाई करनी है तभी तो कुछ लिख पाऊँगी| उस दिन से मुझे लिखने की प्रेरणा मिली| उस दिन की प्रेस की सैर की स्मृतियाँ मेरे ह्रदय पटल पर आज भी विद्यमान है और हमेशा रहेगी|