Peacock -मोर |
मोर या मयूर का प्रकृति से घनिष्ट सम्बन्ध है| यद्यपि उसे कुछ लोग पालते हैं, चिड़िया-घरों में रखते हैं फिर भी वनों में स्वच्छन्द विचरण करना ही उसे पसंद है| मोर को सावन या वर्षा ऋतू विशेष प्रिय है| आकाश में छाये काले बादलों को देखकर वह गाने और नाचने लगता है| इस नाच में उसकी प्रिय मोरनी भी साथ देती है| मोर की आवाज तेज, पर मधुर होती है| मोर का वर्णन पूरे भारतीय साहित्य में सर्वत्र मिलता है| देवतओं में महं-सेनापति कार्तिकेय का यह वाहन है| इसका किसी पक्षी से वैर-विरोध नहीं है, किन्तु इसकी शत्रुता सर्पो से है| यह उन्हें निगल जाता है| मोर की श्रेष्टता का प्रमाण यह है की भगवन श्रीकृष्ण ने मोर-पंखों का मुकुट बनाया था| वह जब भगवान को प्रिय है, तो मनुष्य को क्योँ नहीं प्रिय होगा| लोग मोर-पंख अपने घर एवं पुस्तकों में रखते हैं| इससे सर्प-भय नहीं होता| प्राचीन काल की कृतियों में मोर के चित्र मिलते हैं| आज भी घरों की दीवरों पर मोर की आकृति बनाई जाती है| मोर-पंखों का उपयोग दावा में भी किया जाता है| मयूर-नृत बड़ा आकर्षक होता है, जो मोर मोरनी के नृत के अनुकरण पर बनाया जाता है| मंदिरों में या उसके बाहर जब भगवन की सावरी निकलती हैं| तब मोर-पंख के ही पंखे झुलाये जाते हैं| इस प्रकार मोर राष्ट्रिय पक्षी के साथ-साथ हमारा धार्मिक और सांस्कृतिक पक्षी भी है|