Ganesha |
गणेशोत्सव वर्षाऋतु का एक प्रमुख पर्व है ! वर्षा के मस्त मौसम में गणेशोत्सव
की धूम-धाम चार चाँद लगा देती है ! यह उत्सव मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया
जाता है ! इस उत्सव को व्यस्थित रूप देने का श्रेय लोकमान्य तिलक को है !
यह उत्सव भादों महीने के शुक्लपक्ष में चतुर्थी से चतुर्दशी तक मनाया जाता है
! चतुर्थी के दिन लोग बड़ी धूम-धाम से गनेश की मूर्तियाँ अपने घर लाते है ! सुंदर,
रंगीन मूर्तियाँ सजी हुई गाड़ियों में या सर में रख के लाई जाती है ! संगीत की धुनों
के साथ “गणपति बाप्पा मोरिया” की ध्वनी से वातावरण गूंज उठता है ! घर में एक सुंदर,
स्वच्छ, सजे हुए स्थान पर प्रतिमा रखी जाती है ! सार्वजनिक रूप से भी गणेशोत्सव
मनाया जाता है !
उत्सव के दिनों में शाम की रोनक देखते ही बनती है ! श्रध्दा और भक्ति से भगवन
गणेश की आरती उतारी जाती है और प्रसाद बनता जाता है ! भजन-कीर्तन करते हुए लोग
भक्ति-भाव से झूम उठते है ! रत को कहीं संगीत के कार्यक्रम होते हैं, कही नाटक
होता है ! तो कही फ़िल्में दिखाई जाती है !
चतुर्दशी के दिन गणपति की भव्य नगरयात्रा निकलती है और उनका विसर्जनहोता है !
ठेलागाड़ियों या ट्रकों पर साजसज्जा के साथ गणेशजी की प्रतिमाएँ नदी या समुन्द्र की
और ले जाई जाती है ! नाच-गन के साथ लोग जब “गणपति बाप्पा मोरिया, पुढच्या वर्षी लवकर या” गाते हैं, तब दिल भी नाच
उठता है ! लोगों की ख़ुशी और मस्ती का ठिकाना नहीं रहता ! समुन्द्र-तट पर विसर्जनं
का द्रश्य बड़ा मनमोहक होता है ! गणपति-विसर्जन के साथ ही यह उत्सव भी समाप्त हो
जाता है !
गणेशोत्सव केवल धर्मिक उत्सव ही नहीं है, यह सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी
है ! यह उत्सव लोगों को एक सूत्र में बांधता है ! गणेशजी विघ्नहर्ता और
रिद्धि-सिद्दी के देवता है ! उनका यह उत्सव मनाकर हम अपने जीवन को सुखी और सम्रद्ध
बनाने की कामना करते हैं !