मेरा गांव भी भारत के लाखों गांवों जैसा ही है !
लगभग चार सौ घरों की इस छोटी-सी बस्ती का नाम कनकपुर है ! गाँव के उत्तर में कलकल
करती हुई सरस्वती नदी बहती है ! चारों और खेतों की हरियाली गाँव की शोभा बढ़ा रही
है ! पर्वतमाला और विविध वनस्पतियाँ इसके प्राकर्तिक सोंदर्य में चार चाँद लगा
देती है ! गाँव के बीचोंबीच एक बड़ा कुएँ है, जो ‘राम का कुआँ’ ले नाम से प्रसिद्ध
है ! कुएँ के सामने विशाल शिवालय है ! कुछ दुरी पर गाँव का पंचायतघर है ! पाठशाला
और अस्पताल गाँव के बाहर है !
गाँव के सभी वर्णों के लोग बिना किसी भेदभाव के
रहते है ! मेरे गाँव के लोग बहुत उद्यमी और संतोषी है ! गाँव के लोगों की सभी
जरूरतों की पूर्ति गाँव के लोग ही विविध ग्र्होद्योगों के माध्यम से करते है !
कभी-कभी मेरे गाँव में भजन-कीर्तन का कार्यक्रम भी होता है ! गाँव में अधिकतर किसान रहते है ! अनेक देवी-देवताओं
में उनका अटूट विशवास है ! होली के रंग सबके ह्रदय में हर्ष और उल्लास भर देते
हैं, तो दिवाली की रोशनी से सबके दिल जगमगा उठते है !
ग्रामपंचायत ने हमारे गाँव की कायापलट कर दी है !
गाँव के बच्चे उत्साह से पाठशाला में पढ़ते हैं ! आज तो गाँव में प्रौढ़ शिक्षा का
भी प्रबंध हो चूका है ! गाँव के पुस्तकालय में कई पत्र-पत्रिकाएँ मँगाई जाती हैं !
गाँव के बाजार में भी नई रोनक आ गई है ! यहाँ घरेलु उपयोग की सभी चीजें मिलती हैं
!
हमारे गाँव की पाठशाला में पढाई के अलावा विद्यार्थियों
को बागबानी की शिक्षा भी दी जाती है ! कताई और बुनाई के कामों में भी विद्यार्थी
रूचिपूर्वक भाग लेते हैं ! गाँव का दवाखाना लोगों की अछि सेवा कर रहा है ! मेरे
गाँव के लोगों में कभी-कभी छोटी-छोटी बातों को लेकर कहा-सुनी हो जाती है, लेकिन
पंचायत की बैठक में उन्हें सुलझा लिया जाता है ! कुछ लोग भांग, तंबाखू का सेवन भी
करते हैं ! कुछ लोग सफाई की ओर विशेष ध्यान नहीं देते ! प्रौढ़ शिक्षा के प्रति गांववालों की विशेष रूचि
नहीं हैं !
फिर भी मेरा गाँव अपने आप में अच्छा हैं ! यहाँ
प्रकर्ति की शोभा हैं, स्नेहभरे लोग हैं, धर्म की भावना हैं और मनुष्यता का प्रकाश
है ! भोल-भाले स्त्री-परूष, स्नेहभरे भाभी-देवरों और सरल बच्चों से हरा-भरा यह
मेरा गाँव मुझे बहुत प्यारा है !