April 11, 2013

मेरा गांव | हिंदी निबंध

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मेरा गांव भी भारत के लाखों गांवों जैसा ही है ! लगभग चार सौ घरों की इस छोटी-सी बस्ती का नाम कनकपुर है ! गाँव के उत्तर में कलकल करती हुई सरस्वती नदी बहती है ! चारों और खेतों की हरियाली गाँव की शोभा बढ़ा रही है ! पर्वतमाला और विविध वनस्पतियाँ इसके प्राकर्तिक सोंदर्य में चार चाँद लगा देती है ! गाँव के बीचोंबीच एक बड़ा कुएँ है, जो ‘राम का कुआँ’ ले नाम से प्रसिद्ध है ! कुएँ के सामने विशाल शिवालय है ! कुछ दुरी पर गाँव का पंचायतघर है ! पाठशाला और अस्पताल गाँव के बाहर है !

गाँव के सभी वर्णों के लोग बिना किसी भेदभाव के रहते है ! मेरे गाँव के लोग बहुत उद्यमी और संतोषी है ! गाँव के लोगों की सभी जरूरतों की पूर्ति गाँव के लोग ही विविध ग्र्होद्योगों के माध्यम से करते है ! कभी-कभी मेरे गाँव में भजन-कीर्तन का कार्यक्रम भी होता है !  गाँव में अधिकतर किसान रहते है ! अनेक देवी-देवताओं में उनका अटूट विशवास है ! होली के रंग सबके ह्रदय में हर्ष और उल्लास भर देते हैं, तो दिवाली की रोशनी से सबके दिल जगमगा उठते है !

ग्रामपंचायत ने हमारे गाँव की कायापलट कर दी है ! गाँव के बच्चे उत्साह से पाठशाला में पढ़ते हैं ! आज तो गाँव में प्रौढ़ शिक्षा का भी प्रबंध हो चूका है ! गाँव के पुस्तकालय में कई पत्र-पत्रिकाएँ मँगाई जाती हैं ! गाँव के बाजार में भी नई रोनक आ गई है ! यहाँ घरेलु उपयोग की सभी चीजें मिलती हैं !

हमारे गाँव की पाठशाला में पढाई के अलावा विद्यार्थियों को बागबानी की शिक्षा भी दी जाती है ! कताई और बुनाई के कामों में भी विद्यार्थी रूचिपूर्वक भाग लेते हैं ! गाँव का दवाखाना लोगों की अछि सेवा कर रहा है ! मेरे गाँव के लोगों में कभी-कभी छोटी-छोटी बातों को लेकर कहा-सुनी हो जाती है, लेकिन पंचायत की बैठक में उन्हें सुलझा लिया जाता है ! कुछ लोग भांग, तंबाखू का सेवन भी करते हैं ! कुछ लोग सफाई की ओर विशेष ध्यान नहीं देते !  प्रौढ़ शिक्षा के प्रति गांववालों की विशेष रूचि नहीं हैं !

फिर भी मेरा गाँव अपने आप में अच्छा हैं ! यहाँ प्रकर्ति की शोभा हैं, स्नेहभरे लोग हैं, धर्म की भावना हैं और मनुष्यता का प्रकाश है ! भोल-भाले स्त्री-परूष, स्नेहभरे भाभी-देवरों और सरल बच्चों से हरा-भरा यह मेरा गाँव मुझे बहुत प्यारा है !